शनिवार, 12 जनवरी 2008

हिम्मत


A friend - Faizy, originally uploaded by Windowshopper's back.

.

कैसी हो तुम पुछे कोई
मुझको आते जाते
हर मौके पर बिना वजह वो
करना चाहे बातें

छोटी छोटी बातें मेरी
याद रखीं जाती हैं
पेन भी अगर भुलूँ जो मैं
झट से नज़र होती है

ज़रासा अगर कह डालू मैं
मन उदास है मेरा
मुझसे ज्यादा उदास होकर
लटके उसका चेहरा

इन बातों का मतलब मुझको
साफ नज़र आता है
मेरी राहों में दिवाना
दिल को बिछा जाता है

मैं हलके से हँस दूँ जब भी
नज़रे मिलती उससे
सब कुछ कहता असल बात वो
कहता है ना मुझसे

मै क्या बोलूँ आँखें मेरी
कहती हैं सब बातें
उस लल्लू को खुदा ज़रासी
हिम्मत तो दे जाते

तुषार जोशी, नागपूर

1 टिप्पणी: