रविवार, 31 जुलाई 2011

किमत

(छायाचित्र सहयोग: रिधिमा कोटेचा)
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आपकी अदाएँ मौसम को
उँगलीयों पर नचाती है
आप जो भी पहन लेते हो
उसकी किमत बढ जाती है

काला लाल हरा जामुनी
सब आपके गुलाम है यहाँ
आपने पहना  ईसी बात से
उनकी कलीयाँ खिल जाती है

सहजता से हँसीं उदासी
कैसे पहन लेती है आप
चाहें कोई भी अदा हो
बस दिवाना कर जाती है

तुषार जोशी, नागपूर
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